Wednesday, September 23, 2009

बनना कविताओं का

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कुछ कविताएँ



मेरे अंदर


कहानियाँ बन जाती है


कुछ कहानियाँ


कविता बन


मुझमें


घर कर जाती है...


कुछ कविताएँ


चोला चढ़ाकर


मूर्तियाँ बन जाती है


कुछ कहानियाँ


झटककर


अपना सारा स्थूल


महज सुगंध


बन जाती है

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।