Wednesday, March 17, 2010

खुद से हूँ अनजान

पहचान मेरी मुझको करा दे कोई
हरपल बदलते हैं आचार
हरपल बदलते हैं विचार
कारण इस परिवर्तन का आकर मुझे बता दे कोई

कभी सोचता हूँ, ये न करूँगा
कभी सोचता हूँ, ये ही करूँगा
परिभाषा मेरे कर्मों की मुझको अब समझा दे कोई

कभी देखा अँखियन में खुद को
कभी देखा दर्पण में खुद को
बदला-बदला सा लगा जब भी मुझको दिखा कोई

आँसुओं से प्यास बुझी कभी
कभी प्यासा लौटा मधुशाला से
हलाहल और मधु में अंतर मुझको बतला दे कोई

कभी भावशून्यता रही मन में
कभी भाव अधिकता से कारण
कह न सका बातें मन की संदेश उन तक पहुँचा दे कोई

भाग्य भरोसे कभी बैठकर
कभी मान कर्म को जीवन
नीरव चाहा पाना न मिला मिला दूजा ही कोई मुझको कोई

No comments:

Post a Comment

मेरा काव्य संग्रह

मेरा काव्य संग्रह
www.blogvani.com

Blog Archive

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

about me

My photo
मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।