Friday, April 9, 2010

कोई नया गीत

मन करता है गीत लिखूँ कोई
शब्द जिसके लड़खड़ा कर
सुरूर में कुछ गा रहे हो
छंद जिसके प्रीत पाकर
मस्ती के लहरा रहे हों
हो मदमस्त जो भी सुने
ऐसा मधुगीत लिखूँ कोई
मन करता है गीत लिखूँ कोई
हीर-राझाँ के तराने
बन जाए जिससे अफसाने
शीरीं-फरहाद के फसाने
हो जाए जिससे पुराने
तेरी आँखों की स्याही से
अधरों पर ऐसी प्रीत लिखूँ कोई
मन करता है गीत लिखूँ कोई
गीत जिसे सुनकर दिलवाले
झूम-झूमकर गाएँ
प्रीत जिसे सुनकर दिलरूबा
मुस्काए आँखों से, होंठों से शरमाए
प्यार करने की निराली
नीरव ऐसी रीत लिखूँ कोई
मन करता है गीत लिखूँ कोई

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।