Tuesday, November 2, 2010

तरीके

जीना चाहती हो तुम भी
हरपल, हर क्षण
हर लम्हा मेरे साथ
मगर अंतर है
हम दोनों की जीवन-शैलियों में
तुम मेरे साथ जीना चाहती हो
मैं तुम्हारे पास
हर घड़ी, हर पल, हर लम्हा
और ये अंतर मामूली नहीं
इसके दोनों ओर खड़े हैं
दो जीवन-दर्शन
दो प्रकृति
दो इरादे
दो सुख
(और)
मगर एक लक्ष्य...
.....प्यार...

2 comments:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई! राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है!
    राजभाषा हिन्दी पर – कविता में बिम्ब!

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।