Saturday, July 3, 2010

अनायास


पहले कविताओं में
फिर कहानियों में
और अब मेरे
उपन्यासों में भी
तुम्हारा होना
अनिवार्य हो गया है
अनायास ही
आ जाती हो तुम
अपनी ही तरह

Friday, July 2, 2010

दूरियाँ



सोनजूही के
खिलते फूलों के बीच
मखमली दूब पर लेटकर
कभी सोचा था मैंने
काश तुम भी यहाँ होती
तुम होती तो कैसा होता
आज सचमुच
तुम मिली उसी बगीचे में
ओह! किंतु हम
दूर ही रहे
सोनजूही से
मैं नहीं चाहता था
टकराना
सच को सपने से

Thursday, July 1, 2010

यक्ष-प्रश्न


व्यथा ने गहरा किया
दर्द ने ऊँचाई दी
दुख ने निखारा
लेकिन मन
रहा तलाशता
क्यों खुशी हरदम

Tuesday, June 29, 2010

उलटबाँसी


तुम्हारे इंतजार में
कितनी मुश्किल से कटते हैं
ये लम्हे, ये पल, ये घड़ियाँ
वक्त,
कितनी जल्दी गुजर जाता है
तुम्हारा इंतजार करते

Monday, June 28, 2010

चील


कुछ भी अच्छा
न लगने देने वाली
एक काली रेखा
झपटी एकाएक मेरे उपर
और मैंने
बड़ी मुश्किल से खुद को बचाया

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।