Wednesday, November 17, 2010

, ज़िन्दगी मुझ पे मेहरबान हो गई .

नवंबर में ऐसी बारिश ,सावन-सी शाम हो गई
ख़ास हो चली थी आदत लिखने की,आम हो गई .


वो कहीं भी रहे , आबाद हूँ, दिल में बसा रहता है

एक गली का क्या, गर गुमशुदा-गुमनाम हो गई .

उसका कद ही नहीं,कदे-सुखन भी है मेरे बराबर
वो मेरा दोस्त है, ज़िन्दगी मुझ पे मेहरबान हो गई .

चल पड़ा है मेरी ओर वो, मुश्किलों मुकम्मल देख लो
बाद न कहना, हम न थे इसी से मंज़िल आसां हो गई .

ये दुनियावी झमेले,दुश्वारियां औ गमे-दुनिया के दरमियां
तुम मिले तो लगा, नेमतों से अब मेरी पहचान हो गई .

मेरा काव्य संग्रह

मेरा काव्य संग्रह
www.blogvani.com

Blog Archive

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

about me

My photo
मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।