चिकोटी काटते थे ज़ोर की
घूंसा लगाते थे
घुटनो के पीछे वार कर घुटनों से
खुद ही सहारा बन जाते थे
कुछ एक लगाते थे चपत सर पे
छिप जाते थे
आँखें मूंद लेते थे पीछे से
कुछ सीधे आकर टकराते थे
जिस किसी से आँख लड़े
जल कर ,सरेआम उसे भाभी बुलाते थे
..................
बरतते थे दुश्मनों की तरह
साले अपने आपको फिर भी दोस्त बतलाते थे
घूंसा लगाते थे
घुटनो के पीछे वार कर घुटनों से
खुद ही सहारा बन जाते थे
कुछ एक लगाते थे चपत सर पे
छिप जाते थे
आँखें मूंद लेते थे पीछे से
कुछ सीधे आकर टकराते थे
जिस किसी से आँख लड़े
जल कर ,सरेआम उसे भाभी बुलाते थे
..................
बरतते थे दुश्मनों की तरह
साले अपने आपको फिर भी दोस्त बतलाते थे
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