स्व.कैलाश वाजपेयी से प्रथम पंक्ति उधार लेकर सम्पूर्ण कविता उन्हें ही समर्पित....
तह तक न जाओ बच्चे
एक दिन अकेले पड़ जाओगे
युद्ध लड़ो या रिश्ते बनाओ
तह तक न जाना कभी
वहाँ हर चीज उलटी-उलझी-अलग पाओगे
चीर फाड़ करोगे
हर शै को विद्रूप पाओगे
छूट जाएगी सरलता
सहज नहीं रह पाओगे
बढ़ जायेगी उलझने
संजीदा हो जाओगे
क्या मिलेगा गहराई में
कीच में सन जाओगे
.............
सतह पर रहो
सही कहलाओगे
व्यर्थ समय-शक्ति-पुरुषार्थ
गवाओगे,क्या पाओगे
जो हैं अभी साथ
उनसे भी छूट जाओगे
दूरियां बढ़ाओगे
तह तक न जाओ बच्चे
एक दिन अकेले पड़ जाओगे
युद्ध लड़ो या रिश्ते बनाओ
तह तक न जाना कभी
वहाँ हर चीज उलटी-उलझी-अलग पाओगे
चीर फाड़ करोगे
हर शै को विद्रूप पाओगे
छूट जाएगी सरलता
सहज नहीं रह पाओगे
बढ़ जायेगी उलझने
संजीदा हो जाओगे
क्या मिलेगा गहराई में
कीच में सन जाओगे
.............
सतह पर रहो
सही कहलाओगे
व्यर्थ समय-शक्ति-पुरुषार्थ
गवाओगे,क्या पाओगे
जो हैं अभी साथ
उनसे भी छूट जाओगे
दूरियां बढ़ाओगे
सतह पर बिखरा पड़ा है कितना ज्ञान
उम्र बीत जाएगी
तब भी न बटोर पाओगे
एक सच की खोज में
क्यों अपना जीवन लगाओगे
जूनून में पड़ राज-पाट,स्त्री,संतति
गवाओगे
जो कभी मिल भी गया सत्य
किसको बताओगे
सतह पर रहना सीखो
प्रबुद्ध कहलाओगे
उम्र बीत जाएगी
तब भी न बटोर पाओगे
एक सच की खोज में
क्यों अपना जीवन लगाओगे
जूनून में पड़ राज-पाट,स्त्री,संतति
गवाओगे
जो कभी मिल भी गया सत्य
किसको बताओगे
सतह पर रहना सीखो
प्रबुद्ध कहलाओगे
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