कभी सघन कभी विरल
कभी सुनहरा कभी बदरंग
कभी स्याह कभी सतरंग
मैं रंग की नहीं
समय की बात कर रहा हूँ
कभी सापेक्ष कभी निरपेक्ष
कभी घोर अँधेरे सा
कभी रोशन किरण सा
कभी रेशमी मुलायम
कभी सख्त फौलाद सा
अज़ीब गोरखधंधा है समय
कभी स्वर्ण मृग बन जाता है
कभी अमृत कलश बिंधवाता है
कभी लड़ता है युद्ध
कभी पलायन
कभी जल समाधि दिलवाता है
कभी बँट जाता है युगों में
कभी सतत् चलता जाता है
कभी हारता है खुद से
कभी सबको हराता जाता है
अजीब !अदभुत ! अपरिवर्तनीय !
समय !समय !! समय !!!
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