कल रात बारिश हुई थी और तुम सोती रहीं
तुमने जगाया ही नहीं मैं नींद में रोती रही
पूरी शब जागने को पहले कब मुझे गुरेज़ था
थकी-सी रहती हूँ इन दिनों नींद भर सोती रही
सोने-से चेहरे पे जब चाँदनी काबिज़ हुई
दिन भर की गर्द को दूध से धोती रही
बादलों की ओट में था चाँद सरे शाम से
बिजलियों से अठखेलियां रात भर होती रही
कोई उसके दर्द को जान न ले मुकम्मल
किताब को चेहरे पे रख कर वो मुस्लस्सल रोती रही
सबके होठों पे खिलें फूल खुशियों के सदा
इस दुआ के बीज वो ख़्वाब में सींचती -बोती रही
तुमने जगाया ही नहीं मैं नींद में रोती रही
पूरी शब जागने को पहले कब मुझे गुरेज़ था
थकी-सी रहती हूँ इन दिनों नींद भर सोती रही
सोने-से चेहरे पे जब चाँदनी काबिज़ हुई
दिन भर की गर्द को दूध से धोती रही
बादलों की ओट में था चाँद सरे शाम से
बिजलियों से अठखेलियां रात भर होती रही
कोई उसके दर्द को जान न ले मुकम्मल
किताब को चेहरे पे रख कर वो मुस्लस्सल रोती रही
सबके होठों पे खिलें फूल खुशियों के सदा
इस दुआ के बीज वो ख़्वाब में सींचती -बोती रही