Sunday, March 4, 2018

प्रेम को इम्तिहां न बनाओ

जिन दिनों बसन्त
छाया होता था फ़िज़ाओं में
उसी वक्त क्यों कराते हो इम्तिहान
यह मानवता के विरुद्ध षड़यंत्र है
जब प्रेम बरसाती है पूरी सृष्टि
 धकेलना एक पूरी पीढ़ी को आजमाइश में
एक गंभीर किस्म का पाप है
परीक्षाएं मार्च नहीं
जनवरी में होनी चाहिए
वक्त के बदलते ही
परिणाम भी बदल जाएंगे
प्रश्नों से घबरायेगी नहीं तब तरूणाई
उत्तर देगी बखूबी और
उसके बाद बसंत के गीत गायेगी
......
तुम टाल न देना इसे
केवल कविता समझकर
(जैसे टालते रहे हो प्रेम को
अपने -सबके जीवन से)
नहीं समझोगे तो इसे
अखबारी भाषा मे भी दुहराऊंगा
(शायद तब ही )
तुम्हारी समझ मे आऊंगा

मेरा काव्य संग्रह

मेरा काव्य संग्रह
www.blogvani.com

Blog Archive

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

about me

My photo
मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।